धर्म एवं दर्शन >> अमर सूक्ति कोश अमर सूक्ति कोशरामचन्द्र तिवारी
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मनुष्य के जीवन को प्रकाशमान बनाने तथा उन्नति की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करने वाली सूक्तियां।
ये अमर वचन छात्रों, अध्यापकों, बुद्धिजीवियों, व्याख्याताओं, प्रचारकों और उपदेशकों के लिए तो उपयोगी हैं ही, इसके साथ ही अन्य सभी लोगों के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं। आप इन्हें याद करके कहीं भी प्रयोग में ला सकते हैं।
इसमें दी गई सूक्तियां प्रामाणिक हैं, जीवन मे उन्नति के लिए प्रेरणा देती हैं और देश-विदेश के महान विद्वानों के गहन चिन्तन-मनन से उद्भूत हुई हैं। एक विशेषता यह भी है कि इसमें प्रसिद्ध ग्रन्थों के सुभाषित भी समाहित हैं। हर घर-परिवार के लिए है यह सर्वोत्तम अमर सूक्ति कोश।
इसमें दी गई सूक्तियां प्रामाणिक हैं, जीवन मे उन्नति के लिए प्रेरणा देती हैं और देश-विदेश के महान विद्वानों के गहन चिन्तन-मनन से उद्भूत हुई हैं। एक विशेषता यह भी है कि इसमें प्रसिद्ध ग्रन्थों के सुभाषित भी समाहित हैं। हर घर-परिवार के लिए है यह सर्वोत्तम अमर सूक्ति कोश।
पुस्तक
तिलक
मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि ये जहां होंगी, वहां आप ही स्वर्ग बन जायेगा।
महात्मा गांधी
पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि रत्न बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं जबकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्जवल करती हैं।
अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने मित्रों के साथ न रहने की कमी नहीं खटकती। जितना ही मैं पुस्तकों का अध्ययन करता गया, उतना ही अधिक उसकी विशेषताएं मालूम होती गई।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र हैं।
टॉल्सटॉय
बुरी पुस्तकों का पठन विष के समान हैं।
मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि ये जहां होंगी, वहां आप ही स्वर्ग बन जायेगा।
महात्मा गांधी
पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि रत्न बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं जबकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्जवल करती हैं।
अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने मित्रों के साथ न रहने की कमी नहीं खटकती। जितना ही मैं पुस्तकों का अध्ययन करता गया, उतना ही अधिक उसकी विशेषताएं मालूम होती गई।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र हैं।
टॉल्सटॉय
बुरी पुस्तकों का पठन विष के समान हैं।
लक्ष्मी
चाणक्य
जहाँ मूर्ख नहीं पूजे जाते, वहां अन्न सिंचित रहता है और जहाँ स्त्री-पुरुष में कलह नहीं होता, वहाँ लक्ष्मी आप ही आकर विराजमान रहती है।
मलिन वस्त्र वाले, गन्दे दांतवाले, बहुत खाने वाले, कठोर बोलने वाले और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने वाले को लक्ष्मी त्याग देती है, चाहे वह विष्णु ही क्यों न हो।
महाभारत
लक्ष्मी के सात साधन हैं - धैर्य, क्षमा, इन्द्रिय दमन, पवित्रता, करुणा, कोमल वचन तथा मित्रों से अद्वेष।
लक्ष्मी शुभ कार्य से उत्पन्न होती है, चतुरता से बढ़ती है, अत्यन्त निपुणता से जड़ बांधती है और संयम से स्थिर रहती है।
विवेकानन्द
वेदान्त धर्म का सच्चा अधिकारी और पात्र वही हो सकता है, जो सामर्थ्यवान हो, सम्पन्न हो और लक्ष्मी जिसके चरण चूमती हो।
जहाँ मूर्ख नहीं पूजे जाते, वहां अन्न सिंचित रहता है और जहाँ स्त्री-पुरुष में कलह नहीं होता, वहाँ लक्ष्मी आप ही आकर विराजमान रहती है।
मलिन वस्त्र वाले, गन्दे दांतवाले, बहुत खाने वाले, कठोर बोलने वाले और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने वाले को लक्ष्मी त्याग देती है, चाहे वह विष्णु ही क्यों न हो।
महाभारत
लक्ष्मी के सात साधन हैं - धैर्य, क्षमा, इन्द्रिय दमन, पवित्रता, करुणा, कोमल वचन तथा मित्रों से अद्वेष।
लक्ष्मी शुभ कार्य से उत्पन्न होती है, चतुरता से बढ़ती है, अत्यन्त निपुणता से जड़ बांधती है और संयम से स्थिर रहती है।
विवेकानन्द
वेदान्त धर्म का सच्चा अधिकारी और पात्र वही हो सकता है, जो सामर्थ्यवान हो, सम्पन्न हो और लक्ष्मी जिसके चरण चूमती हो।
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